हुजूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम और हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम एक मर्तबा हुजूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम मस्जिदे नब्वी शरीफ में थे. कि किसी की आवाज सुनी तो आपने हजरते अनस रजियल्लाहु तआला अन्हु को भेजा और कहा कि उनको मेरा सलाम कहो और कहो कि मेरे लिए दुआ करें.
जब हजरत अनस रजियल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे जाकर कहा तो जवाब देने के बाद वो कहने लगे कि मैं क्या उनके लिए दुआ कर सकता हूं उन्हें तो तमाम अम्बिया का सरदार बनाया गया है हम तो खुद उनकी दुआ के मोहताज हैं, हजरत अनस रजियल्लाहु तआला अन्हु वापस आये और उनका पैगाम सुनाया तो हुजूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि वो हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम थे.
इसी तरह हुजूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के विसाल के दिन एक शख्स सफों को चीरता हुआ आगे पहुंचा और सहाबा को तसल्ली दी और फिर वो गायब हो गया तो हजरत अबु बक्र सिद्दीक रजियल्लाहु तआला अन्हु मौला अली रजियल्लाहु तआला अन्हु से फरमाते हैं कि ये हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम थे तो आप फरमाते हैं कि बिल्कुल मैं उन्हें पहचानता हूं.
इसी तरह एक मर्तबा हजरते उमर फारूक रजियल्लाहु तआला अन्हु एक नमाजे जनाजा में शिरकत के लिए खड़े हुए तो दूर से एक शख्स ने आवाज दी कि रुकिये मैं भी शामिल होता हूं,बाद नमाज जब उनको ढूंढा गया तो ना मिले तो हजरत उमर फारूके आजम रजियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ये हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम थे.
इसके अलावा और भी सहाबाये किराम से मुलाकात का तजकिरा मिलता है और बहुत से बुजुर्गाने दीन से भी आपकी मुलाकात साबित है,सबका जिक्र करने के बजाये उन बुजुर्गों के नाम पर ही इक्तिफा करता हूं.
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’हजरत दाता गंज बख्श लाहौरी’
’हजरत मखदूम अशरफ जहांगीर समनानी’
’हजरत ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी’
’हजरत ख्वाजा अब्दुल खालिक गज्दवानी’
’हुजूर गौसे पाक’
’हुजूर मोहिउद्दीन इब्ने अरबी’
’हजरत इमाम अहमद बिन हम्बल’
’हजरत निजामी गंजवी’
’हजरत अहमद बिन अल्वी’
’हजरत शाह रुक्न आलम मुल्तानी’
’हजरत अब्दुल काहिर सुहरवर्दी’
’हजरत बिशर बिन हारिस’
’हजरत ख्वाजा अब्दुल्लाह अंसारी’
’हजरत अब्दुल शैख कैलवी’
’हजरत मौलाना जलालुद्दीन रूम’
’हजरत शैख सादी’
’हजरत ख्वाजा सुलेमान तस्वी’
’हजरत ख्वाजा शम्सुद्दीन सियाल्वी’
’हजरत इब्ने जौजी’
’हजरत शैख बदरुद्दीन गजनवी’
’हजरत अब्दुल वहाब मुत्तकी’
’हजरत जाफर मक्की सरहिंदी’
’हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी’
’हजरत मुहम्मद बिन समाक’
’हजरत अबुल हसन शीराजी’
ये कुछ हजराते मुकद्दसा के नाम हैं जिनके बारे में तफ्सील से किताब में लिखा है और जिस तरतीब से वाक्यिात दर्ज थे मैंने उसी तरतीब से सबका नाम लिख दिया मर्तबे के लिहाजा से नहीं लिखा,लिहाजा इसमें ऐतराज करने जैसी कोई बात नहीं है कि फलां बुजुर्ग पहले के हैं और बड़े हैं तो उनका नाम बाद में और नीचे लिखा हैद्य
और ऐसा भी नहीं है कि जिनका नाम लिखा है सिर्फ उन्हीं हजरात से हजरत खिज्र अलैहिस्सलाम की मुलाकात हुई है बाकी इसके अलावा किसी से नहीं,नहीं बल्कि और किताबों में और भी बुजुर्गाने दीन से मुलाकात के अहवाल लिखे हो सकते हैं बल्कि होंगे हीद्य
उसी तरह एक रिवायत शहर काजी इलाहाबाद हजरत मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी साहब किब्ला ये बयान फरमाते हैं कि हजरत मखदूम अशरफ जहांगीर समनानी रहमतुल्लाह तआला अलैहि अपनी किसी किताब में लिखते हैं कि हजरते खिज्र अलैहिस्सलाम हर आधे घंटे में 1 बार हजरत सय्यद सालार मसऊद गाजी रहमतुल्लाह तआला अलैहि के आस्ताने मुबारक बहराईच शरीफ में हाजिरी देते हैंद्य
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