हजरत शाह अब्दुल हक मुहद्दिस (रहमतुल्लाह अलैह) नक्ल करते है कि, बाज रिवायतों मे आया है कि मय्यत की रुह सबे जुम्मा को अपने घर आती है और देखती है की उसकी तरफ से कोई सदका करता है या नही.??
मोमीन की रुह हर सबे जुम्मा, ईद के दिन, आशुरह के दिन, और शबे बरात, अपने घर आकर बाहर खड़ी होती है और हर रुह गमनाक बुलन्द अवाज से निदा करती है कि,
ऐ मेरे घर वालों, ऐ मेरे औलाद, ऐ मेरे रिश्तेदारों सदका करके हम पे मेहरबानी करो।
कम से कम जुम्मा के दिन अपने घर इन्तेकाल कर चुके घरवालों को इसाले सवाब जरुर कर दिया करें।
क्योंकी हम जो पढ़कर या करके इसाले सवाब करेंगे ओ उनको पहुंचेगा जिससे उनको फायदा हासिल होगा।
अगर वो मय्यत गुनाहगार थी तो गुनाह माफ होंगे और नेकियां मिलेगी और मय्यत नेक थी तो उसके जन्नत मे दर्जे बुलन्द होंगे।
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